कटी कलाई
बहा समुन्दर
किधर का किस्सा
किधर चलेगा
लाद चला था
सारी दुनिया
रिश्ते नाते
और सन्नाटे
जहाँ चलाये उसका मौला
उधर चला था
उधर चलेगा
सब कुछ देखा
फिर कुछ जाना
की मुहब्बत किया बहाना
निचोड़ी रातों से नींद सारी
गुज़र गया एक और ज़माना
न पूछो उससे खुदा के बन्दे
हुआ है बरसों से वो दीवाना
आनी जानी दुनिया सारी
लगा रहेगा आना जाना
सफ़र तो बस दिल का तय था
उधर से ही रास्ता खुलेगा
अगले मोड़ कब्र है उसकी
उधर ठिकाना वही मिलेगा
----------२०१०--आनंद झा ------
absolutely loved the rhythm here :) Keep writing!!
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