-मुशायरा-
हिन्दुस्तानी कवितायेँ - आनंद झा
मंगलवार, 9 मार्च 2010
तेरी झोली में डाल दी दुनिया अपनी
तेरे आँचल में फैल गया रंगों कि तरह
आज खुद का श्राद्ध कर दिया मैंने
अब चाहे जहाँ भी ले जाओ
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