शुक्रवार, 27 दिसंबर 2013

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बर्फ कलेजे पर 
सर रख कर 
बात करो मुझसे 
शायद इसके धड़कने का मौसम 
आएगा वापस 

इंतज़ार ज़िंदगी बना कर 
भूल बैठा 
पत्थरों के समंदर के बीच 
एक और पत्थर 

 छू लो 
पत्थर और मोम के बीच 
कोई फ़र्क़ नहीं होता 

वक़्त के उस तरफ 
आइनों से टकराती 
रूहों से दूर 
खींच ले चलो एक बंद कमरे में 
जहाँ एक लालटेन तले 
रेडियो की 
आवाज़ ओढ़ कर 
कुछ जाने पहचाने लोग 
कर रहे हैं 
सोने की कोशिश 

बुधवार, 18 दिसंबर 2013

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आज़ाद होना
पंख का होना नहीं होता
हवा का होना भी नहीं

बस बेफिक्री का होना होता है
जो उड़ना सिखाती है 

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तुम्हारे आँखों के किनारे पर टिकी है
बात मेरी
जो खोल कर देखो मेरी तरफ
तो जवाब मिल जाये

दिल को टूटने देता नहीं हूँ
दर्द का डर है
न मिलती हो मुहब्बत न मिले
जो शराब मिल जाये

सहम कर चलता हूँ
दहशत के मोहल्ले हैं
मुस्कुरा लूं किसी दिन
गर कोई नक़ाब मिल जाये 

गुरुवार, 12 दिसंबर 2013

377/ 341 aur anya khooni dharaon ke naam

कहे पुरनकी दादी हमरी
जालिम इ सरकार है तुमहरि
खेती छीना घर मोरा तोडा
बंधु हो गए हम अभागल

हमको कहता है illegal
हमको कहता है साला criminal

उहे मुलुक को ढोया सर पे
रोजी मिले न रोटी
नेता बाबू पुलिस तराजू
नोच लिहिस देह से बोटी

हमरा घर में हम ही भिखारी
हमरे वोट का खा कर


हमको कहता है illegal
हमको कहता है साला criminal

क्रिमिनल है हर आसिक लौंडा
चूमे जो अपने पिया को
चोर है हर दलित बहुजनवा
जोते जो खेतीआ को

जीने न दे मरने न देता
सोने न दे थक कर

हमको कहता है illegal
हमको कहता है साला criminal