बुधवार, 17 अप्रैल 2013

neend

बातें समेट कर
रख दी है
 तेरे बिस्तर के सिरहाने पर

नींद तेरी
लिहाफ लोरियों का मेरा है

सपने दोनों के सांझे हैं
थकान सांझी है

सुखन-ए -इत्मीनान है
ओढ़ कर सो जाओ चांदनी के तले

कल न जाने कैसी आग लिए सूरज निकले