गुरुवार, 28 फ़रवरी 2013

raho nashe mein to hosh mein aana

रहो नशे में
तो होश में आना
के हर दिन इस तमाशे में रहना मुश्किल है

रहो नशे में
तो बात करना मुझसे
के मुझे दिख तो जाये के कैसे दीखते हो
रूह तक जो तुम्हारे देखता हूँ मैं

उम्र एक rhetoric को दे दो
एक ऐसा मरकज़ जो तुमको दीखता हो
जैसे मंजिल हो कायानातों की

और फिर जो हार जाओ तो
समंदर किनारे लगा कर कुर्सी
ये देखना कि लहरें अभी भी बाकी है

गलत हो कर भी जिया जाता है
मगर एक उम्र ही है गलत होने की
वो उम्र बीतने न देना ज़ालिम

रहो नशे में तो होश में आना 

सोमवार, 25 फ़रवरी 2013

zikr

हमारी बात आते आते
रह जाती है हर बार

हम आपके लबों तक
कभी पहुँच नहीं पाते

किनारे रास्ते में आते हैं
कई कोशिशों के बाद

बहुत चाहते हैं पर कभी भी
डूब नहीं पाते