सोमवार, 1 मई 2017

aawaz

बागों की निगरानी में
फूल छोड़े हैं

फ़लक तक तैर के जाएँ
ये ख्वाब थोड़े हैं

एक बोतल में डाल दो चिट्ठी
ये दरिया जाने किससे जोड़े है 

be-watan

खामोश ज़मीनों में
नमी कुरेद दे कोई
बंजर लोग अपने दिल का धुआं
फूंक चुके हैं

तकते एक दूसरे को
रात के टूटे तारे
कई उदास घरों का आसमान
फूंक चुके हैं

किधर का रुख देखें
जब बियाबान हो
अपना चेहरा
किससे दरयाफ्त करें
सपनों के मलबों के तले

कोई ज़मीन नहीं होता है
वतन होना
जब वज़ूद हो अपना
कोई कफ़न होना