मंगलवार, 30 अक्तूबर 2012

benami

क्या होता है
अपने नाम का पराया हो जाना
उसे दे देना किसी जुड़वाँ को
या दरवाज़े पर name plate पे अटका देना
कचरे की थैली में रख के , दरवाज़े के बाहर छोड़ देना
या किसी बोर्डिंग में पढने भेज देना और साल में एक बार मिलना

इस पहचान की दूकान पे लगा हूँ मैं
जब तक कुछ पैसे जमा हो जाएँ
बेनाम मुल्कों के सफ़र के लिए

कहीं देखो तो कंधे पे हाथ रख देना
पूछना " अबे  कैसे हो यार "
और हो सके तो याद रखना मुझे
मेरे नाम के  बगैर

शनिवार, 20 अक्तूबर 2012

क्या लिखूं  तुमपर
मुझे नहीं पसंद की मैं अल्फाजों में तुम्हें याद रखूं 
ये कब्रिस्तान है 
यहाँ मुर्दे गाड़े जाते हैं 
अशारों के ताबूत में लपेटकर 

मुझे तुम्हें देखना पसंद है 
इस हद तक 
कि मैं कह सकूं तुमने कल बाल बांधे थे 
और लपेटी थी एक फिरोजी शाल 
और काफी हड़बड़ी में थे 

मुझे टहलना पसंद है तुम्हारे साथ 
चुप रहकर बाँटना एक कोहरे में डूबा हुआ रास्ता 
मुझे ये पसंद है की मैं तुम्हें नाराज़ करू , झगडा करूँ और फिर तुम मुझे पास बिठाकर समझाओ 
मुझ पे चिल्लाओ 
मुझे तुम्हारी प्लेट से ज़यादा खाना पसंद है 

मुझे तुम्हारे साथ जीना पसंद है 
तुम्हें सुनना पसंद है 
तुम्हें याद करना पसंद नहीं 

मुझे तुम्हारे साथ खो जाना पसंद है 
और फिर एक लम्बी तलाश के बाद मिल जाना 
और फिर पूरी रात गपियाना 

मुझे तुम्हारा खोना पसंद नहीं 
तुमपे लिखना पसंद नहीं 
ये कागज़ी खोखलापन 
और उसमें तुमको उकेरना पसंद नहीं