शुक्रवार, 22 मई 2020

April 2020

सड़कें थीं अंतहीन
नंगे पैर थे
और सर पर
एक पूरा घर
और चिलचिलाती धूप

क्यों लोग थालियां बजाते रह गए
जब रेलगाड़ी कुचल गयी उसका चेहरा

क्यों उसके खेतों का गेहूं
सड़ गया सरकारी गोदामों में
पर नहीं आया उसके काम

कभी जिन इमारतों के लिए
उसने ईटें ढोयीं
उनके दरवाज़े नहीं खुले
उसके लिए

किसका था ये मुल्क
जो उसका न हुआ
किसके थे ये लोग
जो उसके न हुए