न तमन्ना-ओ-सुर सजाओ
न कोई जवाब दो
मुझे रात भर सुलाओ
मुझे एक ख्वाब दो
मुझे बोल दो के माजी
मेरा इंतज़ार है
मुझे एक रात रोको
मुझे माहताब दो
न सुकून रहा
न ज़मीन रही
कि ख्याल है या खुमार है
मुझे हर गली सजाओ मुझे हर बहाव दो
--------------आनंद झा---२००३---
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