मंगलवार, 9 मार्च 2010

ahmakana sa kuch

मुझे क्या
मैं तोह रहगुज़र का हूँ
मुझे क्या
मैं तो बे उम्र सा हूँ
मुझे क्या
मैं तो ठहर जाऊं भी
ओढ़ कर एक कफ़न मर जाऊं भी

मुझे क्या, मैं तो सोता हूँ सूरज के साथ
होती है रात तो रोता हूँ सूरज के साथ

मुझे क्या मैं तो रहगुज़र का हूँ
मुझे क्या मैं तो बे उम्र सा हूँ

---------आनंद झा----२००५-----

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