-मुशायरा-
हिन्दुस्तानी कवितायेँ - आनंद झा
रविवार, 8 अप्रैल 2012
main shayar toh nahin
पता नहीं अलफ़ाज़ कैसे जीते हैं
मैं बस कलम से घरोंदे बनाता हूँ उनके
उनसे सुनता हूँ फिर फुसफुसाता हूँ पन्नों के कानों में
मैं शायर तो नहीं
1 टिप्पणी:
shwetambera
23 अप्रैल 2012 को 8:10 am बजे
mast...
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