पिछले दस साल में
ख़त्म हो गए सारे लोग
धीरे धीरे धुआं पीते
किश्तों में जीते
बोलो गोविन्द
गोविन्द देता है कैंसर
दर्द के हलाहल की wholesale agency का ठेकेदार
तय किया था हमने
हम एक दूसरे के रास्ते नहीं आयेगे
मगर हलाहल के ऊपर के wrapper का आकर्षण
और उसकी न जाने वाली लत
सबको राखे गोविन्द
वोही पिलावे वोही जिलावे
अजीब गैरजिम्मेदार सिस्टम है यार तुम्हारा..
और मेरी मजबूरी है हर दिन
तुम्हारी ड्योढ़ी पे सलाम ठोक कर गुज़ारना
क्या हिसाब बैठाये हम अपने बीच
तुम भी जिओ हम भी जियें
बोलो गोविन्द
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