बुधवार, 5 मई 2010

mandir ke saamne

पिछले दस साल में
ख़त्म हो गए सारे लोग
धीरे धीरे धुआं पीते
किश्तों में जीते
बोलो गोविन्द
गोविन्द देता है कैंसर
दर्द के हलाहल की wholesale agency का ठेकेदार
तय किया था हमने
हम एक दूसरे के रास्ते नहीं आयेगे
मगर हलाहल के ऊपर के wrapper का आकर्षण 
और उसकी न जाने वाली लत
सबको राखे गोविन्द
वोही पिलावे वोही जिलावे
अजीब गैरजिम्मेदार सिस्टम है यार तुम्हारा..
और मेरी मजबूरी है हर दिन
तुम्हारी ड्योढ़ी पे सलाम ठोक कर गुज़ारना
क्या हिसाब बैठाये हम अपने बीच
तुम भी जिओ हम भी जियें
बोलो गोविन्द

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