फिर बावरे
फिर फिर फिरे
किसकी मडैया ठौर काटेगा रे साले बावरे
उठ गर्द है
उड़ जा कहीं
दुनिया किसी के बाप की जागीर तो ठहरी नहीं
दर दर भटक
घर घर फटक
दरिया बना के भेजा है , बरसात है बह चल कहीं
मस्ती का पुर्जा जिस्म है
दुनिया है टुकड़ा रूह का
चलता फिरे जलता फिरे तकदीर तेरी बस यही
गाता रहा कर बावरे
सोया हुआ ये गाँव है
लगता है मन मेरा के तू आता रहा कर बावरे
---------आनंद झा २०१०--------------------------
muah...:)
जवाब देंहटाएंto yearn for the vagabond.... i like it !!!
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