बुधवार, 28 अप्रैल 2010

yayavar

फिर बावरे
फिर फिर फिरे
किसकी मडैया ठौर काटेगा रे साले बावरे

उठ गर्द है
उड़ जा कहीं
दुनिया किसी के बाप की जागीर तो ठहरी नहीं

दर दर भटक
घर घर फटक
दरिया बना के भेजा है , बरसात है बह चल कहीं

मस्ती का पुर्जा जिस्म है
दुनिया है टुकड़ा रूह का
चलता फिरे जलता फिरे तकदीर तेरी बस यही

गाता रहा कर बावरे
सोया हुआ ये गाँव है
लगता है मन मेरा के तू आता रहा कर बावरे


---------आनंद झा २०१०--------------------------

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