किसको दिखाने के लिए
ये रात टांगी है
आसमान के दो सिरों पर
चांदनी गिरती रहेगी
चादर से निकले तुम्हारे तलवों पर
बर्फ से चांदी खुरच कर
तुम्हारे गालों पर मलती रहेगी
चांदनी गिरती रहेगी
लडखडाती है तुम्हारी अधखुली आँखों पर
टिमटिमाती बाती की नींद से बेसुध छाया
डरता हूँ न जगा दे तुमको
उडती रात का आँचल
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रात गीली है सुबह तक सूख जाएगी
Second paragraph is too good, the words sound like silk...
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