शनिवार, 1 फ़रवरी 2014

iltiza

मेरी चिंगारियों के सीने में
कोई खाली सा धुआं रख दो कभी
मुझे जलने मत दो
मुझे बुझने मत दो

मेरे अरमानों को बारूद  की गाली मत दो
उनको मौसम दो
पतझड़ दो, बहारें दो
उनको उगने दो खिलने दो और फिर झड़ जाने दो

उनको महफूज़ रखो
आन्धियाँ परे कर दो
मेरी चिंगारियों से बात करो फुर्सत में
उनमें कई आतिशें लरज़ाँ हैं 

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