कुछ आखिरी रस्तों की जानिब से
सुन लेता हूँ
चहलक़दमियाँ
इनके बीच में तन्हाई के तहखानों से
हज़ार चुप्पियों का दर्द फूट पड़ता है
मैं बस अक्षरों का भड़वा हूँ
देखता हूँ , डर कर भाग जाता हूँ
सुन लेता हूँ
चहलक़दमियाँ
इनके बीच में तन्हाई के तहखानों से
हज़ार चुप्पियों का दर्द फूट पड़ता है
मैं बस अक्षरों का भड़वा हूँ
देखता हूँ , डर कर भाग जाता हूँ
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