परत दर परत हूँ मैं आखिर
आखिरी परत के नीचे कुछ भी नहीं
उतार दूं ये सारी परतें
तो कुछ नहीं हूँ मैं
कुछ भी नहीं
तो उड़ सकता हूँ हवा के साथ
न धूप न छाव न बूंदों के थपेड़े
ज़िंदगी तेरे और मेरे दरम्यां
कितने उम्र कितनी परतें हैं
आखिरी परत के नीचे कुछ भी नहीं
उतार दूं ये सारी परतें
तो कुछ नहीं हूँ मैं
कुछ भी नहीं
तो उड़ सकता हूँ हवा के साथ
न धूप न छाव न बूंदों के थपेड़े
ज़िंदगी तेरे और मेरे दरम्यां
कितने उम्र कितनी परतें हैं
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