-मुशायरा-
हिन्दुस्तानी कवितायेँ - आनंद झा
शुक्रवार, 28 फ़रवरी 2014
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सच उधेड़ने के सिवा और कुछ नहीं करता
तो फिर क्यों जानना है
सच
जब कुछ चीथड़े ही
बच गए हैं
1 टिप्पणी:
shwetambera
8 मई 2014 को 5:15 am बजे
क्यों जानना है....
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