-मुशायरा-
हिन्दुस्तानी कवितायेँ - आनंद झा
मंगलवार, 7 फ़रवरी 2012
थकन के सुखन हैं ये साहिब
लोरी की मानिंद कहे जाते हैं
पहले जगते थे मुल्कवाले इनसे
आजकल बच्चे सुलाए जाते हैं
1 टिप्पणी:
shwetambera
7 फ़रवरी 2012 को 11:18 am बजे
:) bahut achhi panktiyan bhaiya...
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