-मुशायरा-
हिन्दुस्तानी कवितायेँ - आनंद झा
सोमवार, 13 फ़रवरी 2012
Nostalgia -2
समय चुकता नहीं है
हम डर जाते हैं
बहा देते हैं वो समय
नालियों में
और फिर किसी गली मुड़कर
मुश्किल से ढूंढते हैं
कहीं किसी नाली में
जम तो न गया होगा
यूँ बेकार होता रहता है आदमी हर दिन
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