-मुशायरा-
हिन्दुस्तानी कवितायेँ - आनंद झा
गुरुवार, 27 जनवरी 2011
इस बार जो आये सर्दियाँ
तो बांध के रखना छप्पर से
कुछ मौसमों की आदत सी लग जाती है
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