शुक्रवार, 8 सितंबर 2017

muhabbat -5

एक बेचैन सी चुप्पी के दोनों तरफ
हमारी अपनी अपनी कयनातें हैं
तुम्हारे पास हैं सैलाब सवालों के कई
मेरे पास गए दिन की वारदातें हैं

ज़ाया किये गए कई महफिलों के प्याले हैं
अनपढ़ी चिट्ठियां है ख्यालों के पुलिंदों में दफ़न
दिल एक टूटे light house सा जज़्बातों के समंदर पर
ओढ़ कर बैठा है हज़ार सन्नाटों का कफ़न

आओ शराब पिएं आहटों के साये में
हर इंसान एक मुक्कमिल होता ख्वाब नहीं
वो हकीकत है ज़मीन है आइना है
एक बेचैन सी चुप्पी का जवाब नहीं


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