तुम बदल-बदल गए हो
तुम नये नये हो
तुम चुप चाप सुन लेते हो मेरा पागलपन
तुम कहाँ दूर चले गये हो
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हम झगड़ते क्यों नहीं हैं
क्या हम समझदारी की आड़ में जाने देँगे
एक दूसरे के शोर में डूबा हुआ मौका
सुनने का
के कितना दर्दनाक है
दुनिया में अकेला हो जाना
तुम नये नये हो
तुम चुप चाप सुन लेते हो मेरा पागलपन
तुम कहाँ दूर चले गये हो
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हम झगड़ते क्यों नहीं हैं
क्या हम समझदारी की आड़ में जाने देँगे
एक दूसरे के शोर में डूबा हुआ मौका
सुनने का
के कितना दर्दनाक है
दुनिया में अकेला हो जाना
kya kahein....
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