शनिवार, 26 अप्रैल 2014

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ये दिलफरेब रातें हैं
इनमें दूर
नहीं जाया करते

एक कम्बल के सिरहाने तक बांध लेते हैँ दुनिया
एक दूसरे की बाँहों में एक उमर काट देते हैं

ये तूफ़ान दो घड़ी भर है
हमको दूर जाना है 

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