कहीं चनाब कोई
झूठ में भी
नहीं बहता
बस अनगिनत
सीढ़ियां
तहखाने हैं
उनमें रिसता
नालियों का पानी है
बस थोड़ी नींद है एक सच
और दूसरे के बीच
कुल मिलाकर
ये अपनी रोज़ की कहानी है
झूठ में भी
नहीं बहता
बस अनगिनत
सीढ़ियां
तहखाने हैं
उनमें रिसता
नालियों का पानी है
बस थोड़ी नींद है एक सच
और दूसरे के बीच
कुल मिलाकर
ये अपनी रोज़ की कहानी है
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