शुक्रवार, 15 नवंबर 2013

vella

रस्ते में गिरी अठन्नियां सम्हाल कर रखना
ये तुम्हारे इंतज़ार में बिछी थी 
इनसे दोस्ती करना 

अमावट की पन्नी से देखना 
पीली दुनिआ 
बड़ी खूबसूरत लगेगी 

नदी किनारे खच्चर के साथ बैठकर 
देखना 
कैसे घंटों नहाते हैं खच्चर और फिर धूप  में खाल सुखाते 

उनसे बच कर चलना 
जो हर लम्हे को पूरा जीते हैं 
कुछ खास नहीं होता वक़्त में 

बस नमी होती है 
जो उड़ जाती है 
धूप  लगते ही 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें