सोमवार, 25 मार्च 2013

kranti ke khilaf

कई लोग मार डाले पिछले ज़मानों में
समाज की engineering के बहाने
क्रांतिकारियों ने

इंसान आज भी
उतना ही दोगला है
जितनी कि  उसकी क्रांति

क्या हक है
एक क्रांति को
ये कहने का
की उसके द्वारा बदला जायेगा
इंसान की प्रकृति का बहाव- बनाव
और क्या हक है
समाज को फिर नए सिरे से बाँटने का
काटने का

हकीकत से भागने के
और नयी हकीकत बनाने के
अपने आप को नयी मानवीय संरचना का architect कहलाने के

ये खतरनाक खूनी चुतियापे हैं

क्रांति सिर्फ निजी होती है
एक की दूसरे के खिलाफ
बाकी सब भेडचाल है
hero खोजने और कहलाने के तरीके हैं

इंसान को उसके जड़ से बदलने से बचने के तरीके हैं 

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