शनिवार, 23 मार्च 2013

meri ma ke liye

मैं तुमको याद करता हूँ
तुम दिलचस्प नहीं थे
पर मेरे अपने थे
आज भीड़ है मेरे इर्द गिर्द दिलचस्प लोगों की
पर अपना कोई भी नहीं

अब मैं रिश्ता नहीं जोड़ पाता
बातें नहीं कर पाता
बस चुप्पी के अँधेरे में टटोलता रहता हूँ वो हाथ
जिन्हों ने मुझे कभी शहर जाने वाली रेल के डिब्बे में बिठाया था

उन हाथों को चूम नहीं पाता
बस भागता फिरता हूँ उसकी तलाश में
जिससे भागता रहा  हूँ इतने बरसों से

कभी देखता हूँ सपनों में
के तुम किसी किनारे में
थामोगे मुझको
और ये बताओगे
के कैसे पिया जाता है
चुस्कियों में धीरे धीरे
अकेलेपन का ज़हर 

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