हम कई लोगों की उँगलियाँ पकड़ के चलते हैं
उनकी गोद में चहकते हैं
उनपर हक जताते हैं
उनसे फ़र्माइशें करते हैं
उनके खिलाफ बगावत करते हैं
झगड़ते हैं
उनको गलत करार देते हैं
उनसे दूर जाते हैं
उन्हें समझाते हैं
एक नयी दुनिया में घसीटते हैं
और फिर इंतज़ार करते हैं
उनके किश्तों में सूखने का
झड़ने का गलने का
और फिर लकड़ी के एक गट्ठर पे
हमारे हाथों जलाये जाने का
और क्या अहेद ए वफ़ा होते हैं
लोग मिलते हैं जुदा होते हैं
उनकी गोद में चहकते हैं
उनपर हक जताते हैं
उनसे फ़र्माइशें करते हैं
उनके खिलाफ बगावत करते हैं
झगड़ते हैं
उनको गलत करार देते हैं
उनसे दूर जाते हैं
उन्हें समझाते हैं
एक नयी दुनिया में घसीटते हैं
और फिर इंतज़ार करते हैं
उनके किश्तों में सूखने का
झड़ने का गलने का
और फिर लकड़ी के एक गट्ठर पे
हमारे हाथों जलाये जाने का
और क्या अहेद ए वफ़ा होते हैं
लोग मिलते हैं जुदा होते हैं
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