बातें समेट कर
रख दी है
तेरे बिस्तर के सिरहाने पर
नींद तेरी
लिहाफ लोरियों का मेरा है
सपने दोनों के सांझे हैं
थकान सांझी है
सुखन-ए -इत्मीनान है
ओढ़ कर सो जाओ चांदनी के तले
कल न जाने कैसी आग लिए सूरज निकले
रख दी है
तेरे बिस्तर के सिरहाने पर
नींद तेरी
लिहाफ लोरियों का मेरा है
सपने दोनों के सांझे हैं
थकान सांझी है
सुखन-ए -इत्मीनान है
ओढ़ कर सो जाओ चांदनी के तले
कल न जाने कैसी आग लिए सूरज निकले
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