गुरुवार, 30 अगस्त 2012

-

रात ले जाती है सबकुछ
एक सवेरे के सिवा
देकर धूप की बस एक कनी, एक चिंगारी आँखों में
कुछ भी बतलाती नहीं है
एक चेहरे के सिवा



कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें