-मुशायरा-
हिन्दुस्तानी कवितायेँ - आनंद झा
गुरुवार, 30 अगस्त 2012
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रात ले जाती है सबकुछ
एक सवेरे के सिवा
देकर धूप की बस एक कनी, एक चिंगारी आँखों में
कुछ भी बतलाती नहीं है
एक चेहरे के सिवा
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