मंगलवार, 23 अगस्त 2011

बरसते हुए देखता रहा तुमको 
आसमानी नदी 
कोई समंदर नहीं खड़ा तुम्हारे इंतज़ार में 

बस एक तपती सी सड़क है तनहा 
मुंह बाये आसमान को तकती 

जिंदगी चाहे कितनी छोटी हो तुम्हारी
मानी उसके समंदर से बड़े लगते हैं 

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