-मुशायरा-
हिन्दुस्तानी कवितायेँ - आनंद झा
मंगलवार, 23 अगस्त 2011
बरसते हुए देखता रहा तुमको
आसमानी नदी
कोई समंदर नहीं खड़ा तुम्हारे इंतज़ार में
बस एक तपती सी सड़क है तनहा
मुंह बाये आसमान को तकती
जिंदगी चाहे कितनी छोटी हो तुम्हारी
मानी उसके समंदर से बड़े लगते हैं
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