-मुशायरा-
हिन्दुस्तानी कवितायेँ - आनंद झा
बुधवार, 27 जुलाई 2011
for joseph macwan
तुम्हारी मुट्ठी में कैद हैं सांसे मेरी
तुम्हारे पंजे जबड़ों की माफिक
मेरा वजूद दबोचे बैठे हैं
घुटन पुश्तों से घुल गयी है
पत्थर पे रिसते खून में
पूछते हो क्यों बम बन गया मैं
1 टिप्पणी:
SAJAN.AAWARA
27 जुलाई 2011 को 10:01 pm बजे
Bebsee kodarsati hai apki rachnaBebsee kodarsati hai apki rachna
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