-मुशायरा-
हिन्दुस्तानी कवितायेँ - आनंद झा
शनिवार, 30 जुलाई 2011
कहूँ कुछ भी
अलिफ़ तुम ही होते हो
तुमसे जुदा बातें नहीं होती मेरी
न आते भी ज़िक्र तुम्हारा चला आता है
मुहब्बत हो या नफरत
मिजाज़ बदमस्त रहता है
1 टिप्पणी:
SAJAN.AAWARA
31 जुलाई 2011 को 4:06 am बजे
HAN BAS JIKRA TUMHARA HI RAHTA HAI,,,,WAH...
JAI HIND JAI BHARAT
जवाब दें
हटाएं
उत्तर
जवाब दें
टिप्पणी जोड़ें
ज़्यादा लोड करें...
नई पोस्ट
पुरानी पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
HAN BAS JIKRA TUMHARA HI RAHTA HAI,,,,WAH...
जवाब देंहटाएंJAI HIND JAI BHARAT