शुक्रवार, 25 फ़रवरी 2011

सिलसिलेवार तरीके से घट रही थी
हमारे आस पास 
हम उसे जिंदगी बुलाते रहे
बच्चे स्कूल जाने से डरने लगे 
अखबार टोइलेट की तरह साफ़ 
पड़ोस से अचानक लोग गायब होने लगे 

जो आता रहा टीवी पे 
बेचता रहा डर
अलग अलग शक्लों में 
हर चीज़ के लिए मशक्कत 
जीना मुश्किल हुआ
फिर बेमतलब 

फिर आदतों का एक मुल्क बनता गया 
बेमतलब बेतरकीब बेहिसाब बढ़ता हुआ
एक घाव 
जिसकी टीस की लत में धुत
एक पूरा देश नीद से जगाने वालो की माँ बहन करता हुआ
सोता रहा 


coma में लेटे 
अपने मुल्क की उनींदी पलकों से 
मक्खियाँ भगाते हुए
सिलसिलेवार तरीके से
तीस साल का हो गया

1 टिप्पणी:

  1. coma में लेटे
    अपने मुल्क की उनींदी पलकों से
    मक्खियाँ भगाते हुए
    सिलसिलेवार तरीके से
    तीस साल का हो गया

    bahut hee jawlant prashn uthaya hai aapne...badhai

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