जाता हूँ के जिन रास्तों पे
कुछ नहीं जाता
गाता हूँ वो धुन अपनी
जिसे कोई नहीं गाता
मैं खुद से प्यार करता हूँ
मैं खुद पे वार करता हूँ
गुमता हूँ मैं गलियों में
के गलियां मुझमें उलझी हैं
लड़ता हूँ पर कायर हूँ
बेहूदा एक desire हूँ
मैं
पल दो पल का शायर हूँ
कुछ नहीं जाता
गाता हूँ वो धुन अपनी
जिसे कोई नहीं गाता
मैं खुद से प्यार करता हूँ
मैं खुद पे वार करता हूँ
गुमता हूँ मैं गलियों में
के गलियां मुझमें उलझी हैं
लड़ता हूँ पर कायर हूँ
बेहूदा एक desire हूँ
मैं
पल दो पल का शायर हूँ
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