साल के सख्त दरख्तों के बीच
महुआ का शोर
उस शोर में कल रात की
हड्डी हिला देने वाली ठण्ड
का जिर्क धूलबस्ता कम्बलों में डूबे हुए सरों और निकलते हुए फटे तलवों से
चट्टानों कि ओट में
मैं अपनी डायरी लेकर बैठा हूँ
पत्थरों में ठंढ है
जो मेरी खाल में रगड़ता है
मेरे रोयों के रास्ते घुसता है मेरे सीने में
मैं बहुत दूर हूँ पलामू के जंगलों से
जहाँ अब शायद
गोलियों का मौसम गर्म है
महुआ का शोर
उस शोर में कल रात की
हड्डी हिला देने वाली ठण्ड
का जिर्क धूलबस्ता कम्बलों में डूबे हुए सरों और निकलते हुए फटे तलवों से
चट्टानों कि ओट में
मैं अपनी डायरी लेकर बैठा हूँ
पत्थरों में ठंढ है
जो मेरी खाल में रगड़ता है
मेरे रोयों के रास्ते घुसता है मेरे सीने में
मैं बहुत दूर हूँ पलामू के जंगलों से
जहाँ अब शायद
गोलियों का मौसम गर्म है
मेरे रोयों के रास्ते घुसता है मेरे सीने में
जवाब देंहटाएंमैं बहुत दूर हूँ पलामू के जंगलों से
जहाँ अब शायद
गोलियों का मौसम गर्म है
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