-मुशायरा-
हिन्दुस्तानी कवितायेँ - आनंद झा
गुरुवार, 19 सितंबर 2013
आगे के लिए क्या बांधूं मैं
डर के इस गट्ठर के सिवा
डर की छांव में पला बढ़ा
उससे बाहर कैसे निकलूं मैं
कैसे उड़ जाऊं पंखों बिन
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