जितनी भी लड़ी
किसी और की लड़ाइयाँ लड़ी
अपनी ज़मीन का कभी पता नहीं माँगा
अपनी वजह की कोई सूरत नहीं देखी
बेवजह हूँ आज
और सोचता हूँ
आगे कैसे चलूँ
कब तक बैठूं
नदी के किनारे पर
किसकी लडूं लड़ाइयाँ
खुद की बना के मैं
अनगिनत रिमोट कण्ट्रोलों के अंत में एक यांत्रिक वध
किसका करूँ
किसको मारूं किससे मरुँ
या बेवजह जियूं
किसी और की लड़ाइयाँ लड़ी
अपनी ज़मीन का कभी पता नहीं माँगा
अपनी वजह की कोई सूरत नहीं देखी
बेवजह हूँ आज
और सोचता हूँ
आगे कैसे चलूँ
कब तक बैठूं
नदी के किनारे पर
किसकी लडूं लड़ाइयाँ
खुद की बना के मैं
अनगिनत रिमोट कण्ट्रोलों के अंत में एक यांत्रिक वध
किसका करूँ
किसको मारूं किससे मरुँ
या बेवजह जियूं
कहीं एक अलग दुनिया होती
जवाब देंहटाएंबेवजह लड़ने वाले सिपाहियों की
जहाँ वक्त-बेवक्त
लड़ने से break लिया जा सकता
apna commune banaya jaye himachal mein?
जवाब देंहटाएंBilkul....uttranchal bhi chalega..:)
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