-मुशायरा-
हिन्दुस्तानी कवितायेँ - आनंद झा
मंगलवार, 14 मई 2013
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कई दफा बारिश रुक गयी
आसमान में
मौसम का कोई मनचला सा मशविरा होगा
प्यासे ज़मीन के सूखे से टुकड़े ने बड़ी बेरुखी से कहा
अच्छा मजाक है
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