बुधवार, 22 मई 2013

baarish

बारिश की बूंदों में घोल कर पी है
शराब में थोड़ी नमी थोड़ी हवा भी घुली है
घुला है आसमान , घुली है मौसम की बेपर्वाहियाँ
थपेड़ों के मौज पर उड़ते हुए बादलों का जोर

अब तक ज़ाया की कितनी शराब
आंसुओं में घोलकर 

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