शुक्रवार, 11 जनवरी 2013

सुरंग है
और एक ही तरफ जाती है रौशनी की तरकीब
बस गिरते जाना है
गहरे - गहरे
निर्वात में
जहाँ न सपने हों
न उन पर बनी इमारतें
न दीवारें
न मायने

बस रौशनी है
सुरंग के उस तरफ 

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