अपनी तबियत के मारे
मन के बच्चे
अपनी ज़बान के खारिज होने के
गूंगेपन से जूझते
रोज़ उस पुल पे आ बैठते हैं
पुल का दावा है कि वो एक दिन जोड़ेगा
जिंदगी के दो सिरे .....
उम्मीद की लाश पर तने
इस लोहे के मकबरे से पूछो
कितनी पुश्तें गुमराह की हैं इसने
झूठे वादों से
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जवाब देंहटाएंBlogger mein sirf 'Like' karne ka bhi option hona chahiye!!!!
ab hai
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