गर ukhadti सासों की इज़ाज़त हो
तो ये रवायत भी निभा लेंगे हम
तुम्हारे सुर में भरके अपने पल
एक ग़ज़ल साथ साथ गा लेंगे हम
जो चला जायेगा वो साया अपना
खुदा के पास चुकेगा बकाया अपना
रहेंगे हम तो यहीं इस दर-ओ -दीवार तले
इस उम्र में नयी सोहबत कहाँ पालेंगे हम
न मायूस करना हमको अपने अश्कों से
नमक यादों का ऐसे खर्च करते हैं भला
अब न तकलीफ न रंजिश है कोई
अब बची उम्र बा आराम निकालेंगे हम .
रहेंगे हम तो यहीं इस दर-ओ -दीवार तले
जवाब देंहटाएंइस उम्र में नयी सोहबत कहाँ पालेंगे हम
बहुत ही खूबसूरत रचना ...दिल को छू गयी