-मुशायरा-
हिन्दुस्तानी कवितायेँ - आनंद झा
मंगलवार, 19 अक्तूबर 2010
khali
जायेगी ये रात भी जाया
जैसे खालीपन उड़ेल रहा है कोई खाली सी सुराही में
कोई बताता नहीं किताबों में
के कैसे खाली खाली जीते हैं
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