शनिवार, 11 जनवरी 2020

insomnia

कई रातों के बेसिरपैर सपने
दस्तावेज़ों की तरह गुथे हुए
रखे हैं ऐसे
जैसे मालगाड़ी का एक खाली डब्बा
एक अध् गुमी रेल की पटरी पर
खड़ा रहता है

ऐसा इंतज़ार किसका किया है

लोगों का, हालातों का, चीज़ों का, मौसमों का

कौन छांटेगा ये बैरंग सपने

रवाना करेगा इन्हें
नींद की डाक पर 

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