बुधवार, 19 जून 2013

sangam

अबाध
बहता गया
कहीं तो नदी का  अंत
पूछेगा मुझसे
किस किनारे
पर मिलेगा रे
समुन्दर
कितनी दूर आया मैं
तेरा पता लेकर
कितने गाँव कितने शहर
कितने रिश्ते नाते
....बस इसलिए के तेरे साथ बैठूं एक दिन

तू कौन है
मैं कौन हूँ
और क्या है ये अनगिनत वर्षों का संघर्ष
बस एक क्षणिक विलय के सुख का

मंगलवार, 18 जून 2013

tazurbe

कगारों पर जो लिख गए
लहरों के थपेड़े
उनसे समंदर का चेहरा
दीखता तो होगा

कितने जहाज़ आये
कितने मजाज़ आये
किनारा है अगर ठहरा
कोई तो आता होगा

या तो बहना है
या ठहरना है
के जीने के तरीकों में
शायद कभी गलती से
कोई तीसरा तो होगा