रहो नशे में
तो होश में आना
के हर दिन इस तमाशे में रहना मुश्किल है
रहो नशे में
तो बात करना मुझसे
के मुझे दिख तो जाये के कैसे दीखते हो
रूह तक जो तुम्हारे देखता हूँ मैं
उम्र एक rhetoric को दे दो
एक ऐसा मरकज़ जो तुमको दीखता हो
जैसे मंजिल हो कायानातों की
और फिर जो हार जाओ तो
समंदर किनारे लगा कर कुर्सी
ये देखना कि लहरें अभी भी बाकी है
गलत हो कर भी जिया जाता है
मगर एक उम्र ही है गलत होने की
वो उम्र बीतने न देना ज़ालिम
रहो नशे में तो होश में आना
तो होश में आना
के हर दिन इस तमाशे में रहना मुश्किल है
रहो नशे में
तो बात करना मुझसे
के मुझे दिख तो जाये के कैसे दीखते हो
रूह तक जो तुम्हारे देखता हूँ मैं
उम्र एक rhetoric को दे दो
एक ऐसा मरकज़ जो तुमको दीखता हो
जैसे मंजिल हो कायानातों की
और फिर जो हार जाओ तो
समंदर किनारे लगा कर कुर्सी
ये देखना कि लहरें अभी भी बाकी है
गलत हो कर भी जिया जाता है
मगर एक उम्र ही है गलत होने की
वो उम्र बीतने न देना ज़ालिम
रहो नशे में तो होश में आना
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