-मुशायरा-
हिन्दुस्तानी कवितायेँ - आनंद झा
मंगलवार, 8 नवंबर 2011
बेकसी एक तजुर्बा है
जो अता होता है
बेबसी - देखना और समझना है
उसे जो चुपचाप बयां होता है
1 टिप्पणी:
Saru Singhal
8 नवंबर 2011 को 6:50 pm बजे
Kya baat hai! Bahut umda!
जवाब दें
हटाएं
उत्तर
जवाब दें
टिप्पणी जोड़ें
ज़्यादा लोड करें...
नई पोस्ट
पुरानी पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
Kya baat hai! Bahut umda!
जवाब देंहटाएं